जब तक जिंदा हूं तब तक घूमना चाहती हूं
चेन्नई सफ़र के दौरान विजयवाड़ा में जब मेरे केबिन से सब उतर गए तो TTE ने कहा कि C केबिन में एक आंटी आपको बुला रहीं हैं। मैं वहां गया तो देखा कि एक बूढ़ी आंटी अकेली बैठी हुईं हैं। उन्होंने मुझसे कहा कि मेरे केबिन से सब उतर गए हैं अब मुझे अकेले में थोड़ा डर लगेगा। मेरा केयरटेकर और उसका परिवार एसी 3 में है। आप क्या मेरे केबिन में आ जाएंगे। मैंने कहा ज़रूर क्यों नहीं। मेरे मन में एक सवाल आया तो मैंने उनसे पूछा कि आपने केयरटेकर का अपने साथ रिजर्वेशन क्यों नहीं कराया। तो उन्होंने कहा कि केयरटेकर उसकी बीवी और उनके दो बच्चें भी मेरे साथ जा रहे हैं। सबका AC 1st का खर्चा मैं उठा नहीं सकती। बात भी ठीक थी। मैं अपना सारा समान लेकर उनके केबिन में आ गया।
फिर शुरू हुआ उनकी और मेरी बातों का सिलसिला। यह शख्सियत थीं, ख़ैर नाम बताना सही नहीं होगा, उम्र करीब 80 साल। इन्होंने 1975 के आसपास एनेस्थीसिया में MD किया और ये अपने पति के साथ ही भारतीय रेलवे की मेडिकल सेवा में लग गईं। करीब 26 – 27 साल की उम्र में इन्होंने अपने पति को एक रेल दुर्घटना में खो दिया। तबसे आज तक अपने बच्चों को पढ़ा लिखा के बड़ा किया और पूरी नौकरी करके करीब 20 साल पहले रिटायर हुई और लखनऊ में बस गईं। इनके 2 बच्चें हैं, एक बेटा और एक बेटी। जो अब अमेरिका में बस चुके हैं और वापस आना नहीं चाहते। अब इस पर मैं कोई टिप्पणी नहीं कर सकता क्योंकि सबकी अपनी अपनी मजबूरी होती है। सही या गलत यह उन पर छोड़ता हूं। पर हां ये अब यहां बिलकुल अकेली हैं। उनके अकेलेपन का दुःख उनके चहरे पर साफ दिख रहा था। पर बोलीं कि कोई नहीं अपनी अपनी किस्मत है। हमने जीवन घर परिवार सबकी बहुत सारी बातें की। उन्होंने मुझे खूब किस्से सुनाए।
अभी भी वो रामेश्वरम जा रही थीं और बोली कि मैं जब तक जिंदा हूं तब तक घूमना चाहती हूं। एक दिन तो फिर जाना ही है। चेन्नई तक के सफ़र में हम सिर्फ़ हंसते ही रहे, एक पल को भी चुप नहीं हुए। बस बातों बातें में चेन्नई आ गया। मुझे लेने रुचि प्लेटफार्म पर आ चुकी थी। मैंने आंटी का सारा सामान समेटा और उनको ट्रेन से सकुशल उतार कर रुचि से मिलवाया। फिर उन्हें उनके केयरटेकर के हवाले कर दिया। बस उनके पैर छू कर हम अपने अपने जीवन के गंतव्यों की ओर बढ़ चले।
सच में उनकी जिंदादिली और साहस काबिले तारीफ था और मेरे लिए एक सबक था कि जब कोई साथ न दे तो ख़ुद का साथी बन जाओ। वैसे तो सफ़र में मुझे हजारों लोग मिलते हैं पर कुछ ऐसे होते हैं जो हमेशा के लिए दिल में बस जाते हैं। ईश्वर उन्हें सदा स्वस्थ रखे
जय श्रीराम
You had a very nice experience
SUBHASH CHAND GARG sir- Person should take out as much time as possible to travel