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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-185

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जय श्री राधे कृष्ण …….

जोइ जोइ सगुन जानकिहि होई, असगुन भयउ रावनहि सोई, चला कटकु को बरनैं पारा, गर्जहिं बानर भालु अपारा ।।

भावार्थ:– जानकी जी को जो – जो शकुन होते थे, वही – वही रावण के लिए अपशकुन हुए । सेना चली, उस का वर्णन कौन कर सकता है ? असंख्य वानर और भालू गर्जना कर रहे हैं…….!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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