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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-178

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जय श्री राधे कृष्ण …….

उमा राम सुभाउ जेहिं जाना, ताहि भजनु तजि भाव न आना, यह संबाद जासु उर आवा, रघुपति चरन भगति सोइ पावा ।।

भावार्थ:– हे उमा! जिस ने श्री राम जी का स्वभाव जान लिया, उसे भजन छोड़ कर दूसरी बात ही नहीं सुहाती । यह स्वामी – सेवक का संवाद जिस के हृदय में आ गया, वही श्री रघुनाथ जी के चरणों की भक्ति पा गया…..!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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