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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-177

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जय श्री राधे कृष्ण …….

नाथ भगति अति सुखदायनी, देहु कृपा करि अनपायनी, सुनि प्रभु परम सरल कपि बानी, एवमस्तु तब कहेउ भवानी ।।

भावार्थ:- हे नाथ! मुझे अत्यंत सुख देने वाली अपनी निश्चल भक्ति कृपा कर के दीजिए । हनुमान जी की अत्यंत सरल वाणी सुन कर, हे भवानी! तब प्रभु श्री राम चंद्र जी ने ‘एवमस्तु’ (ऐसा ही हो) कहा……!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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