lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-175

109Views

जय श्री राधे कृष्ण …….

साखामृग कै बड़ि मनुसाई, साखा तें साखा पर जाई, नाघि सिंधु हाटकपुर जारा, निसिचर गन बधि बिपिन उजारा ।।

भावार्थ:- बंदर का बस यही पुरुषार्थ है कि वह एक डाल से दूसरी डाल पर चला जाता है । मैंने जो समुद्र लाँघ कर सोने का नगर जलाया और राक्षस गण को मार कर अशोक वन को उजाड़ डाला……..!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply