जय श्री राधे कृष्ण …….
“साखामृग कै बड़ि मनुसाई, साखा तें साखा पर जाई, नाघि सिंधु हाटकपुर जारा, निसिचर गन बधि बिपिन उजारा ।।
भावार्थ:- बंदर का बस यही पुरुषार्थ है कि वह एक डाल से दूसरी डाल पर चला जाता है । मैंने जो समुद्र लाँघ कर सोने का नगर जलाया और राक्षस गण को मार कर अशोक वन को उजाड़ डाला……..!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
