lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-171

83Views

जय श्री राधे कृष्ण …….

सुनि प्रभु बचन बिलोकि मुख गात हरषि हनुमंत, चरन परेउ प्रेमाकुल त्राहि त्राहि भगवंत ।।

भावार्थ:- प्रभु के वचन सुनकर और उनके (प्रसन्न) मुख तथा (पुलकित) अंगों को देख कर हनुमान जी हर्षित हो गये और प्रेम में विकल होकर ‘हे भगवन् ! मेरी रक्षा करो, रक्षा करो’ कहते हुए श्रीराम जी के चरणों में गिर पड़े…… ।।

दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply