जय श्री राधे कृष्ण …….
“सुनु कपि तोहि समान उपकारी, नहिं कोउ सुर नर मुनि तनुधारी, प्रति उपकार करौं का तोरा, सनमुख होइ न सकत मन मोरा ।।
भावार्थ:- (भगवान कहने लगे) हे हनुमान! सुन तेरे समान मेरा उपकारी देवता, मनुष्य अथवा मुनि कोई भी शरीर धारी नहीं है । मैं तेरा प्रत्युपकार (बदले में उपकार) तो क्या करूँ, मेरा मन भी तेरे सामने नहीं हो सकता……!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
