जय श्री राधे कृष्ण …….
“नाथ पवनसुत कीन्हि जो करनी, सहसहुँ मुख न जाइ सो बरनी, पवनतनय के चरित सुहाए, जामवंत रघुपतिहि सुनाए ।।
भावार्थ:– हे नाथ! पवन पुत्र हनुमान ने जो करनी की, उसका हजार मुखों से भी वर्णन नहीं किया जा सकता । तब जाम्बवान् ने हनुमान जी के सुंदर चरित्र (कार्य) श्री रघुनाथ जी को सुनाए….!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..