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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-159

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जय श्री राधे कृष्ण …….

नाथ पवनसुत कीन्हि जो करनी, सहसहुँ मुख न जाइ सो बरनी, पवनतनय के चरित सुहाए, जामवंत रघुपतिहि सुनाए ।।

भावार्थ:– हे नाथ! पवन पुत्र हनुमान ने जो करनी की, उसका हजार मुखों से भी वर्णन नहीं किया जा सकता । तब जाम्बवान् ने हनुमान जी के सुंदर चरित्र (कार्य) श्री रघुनाथ जी को सुनाए….!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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