जय श्री राधे कृष्ण …….
“जामवंत कह सुनु रघुराया, जा पर नाथ करहु तुम्ह दाया, ताहि सदा सुभ कुसल निरंतर, सुर नर मुनि प्रसन्न ता ऊपर !!
भावार्थ:- जामवंत ने कहा – हे रघुनाथ जी! सुनिए । हे नाथ ! जिस पर आप दया करते हैं, उसे सदा कल्याण और निरंतर कुशल है । देवता, मनुष्य और मुनि सभी उस पर प्रसन्न रहते हैं…..!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
