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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-155

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जय श्री राधे कृष्ण …….

राम कपिन्ह जब आवत देखा, किएँ काजु मन हरष बिसेषा, फटिक सिला बैठे द्वौ भाई, परे सकल कपि चरनन्हि जाई ।।

भावार्थ:- श्री राम जी ने जब वानरों को कार्य किए हुए आते देखा तब उनके मन में विशेष हर्ष हुआ । दोनों भाई स्फटिक शिला पर बैठे थे । सब वानर जाकर उनके चरणों पर गिर पड़े……. ।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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