जय श्री राधे कृष्ण …….
“राम कपिन्ह जब आवत देखा, किएँ काजु मन हरष बिसेषा, फटिक सिला बैठे द्वौ भाई, परे सकल कपि चरनन्हि जाई ।।
भावार्थ:- श्री राम जी ने जब वानरों को कार्य किए हुए आते देखा तब उनके मन में विशेष हर्ष हुआ । दोनों भाई स्फटिक शिला पर बैठे थे । सब वानर जाकर उनके चरणों पर गिर पड़े……. ।
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
