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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-154

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जय श्री राधे कृष्ण …….

नाथ काजु कीन्हेउ हनुमाना, राखे सकल कपिन्ह के प्राना, सुनि सुग्रीव बहुरि तेहि मिलेऊ, कपिन्ह सहित रघुपति पहिं चलेऊ ।।

भावार्थ:– हे नाथ! हनुमान ने ही सब कार्य किया और सब वानरों के प्राण बचा लिए । यह सुन कर सुग्रीव जी हनुमान जी से फिर मिले और सब वानरों समेत श्री रघुनाथ जी के पास चले….. ।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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