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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-146

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जय श्री राधे कृष्ण …….

कहु कपि केहि बिधि राखौं प्राना, तुम्हहू तात कहत अब जाना, तोहि देखि सीतलि भइ छाती, पुनि मो कहुँ सोइ दिनु सो राती ।।

भावार्थ:- हे हनुमान ! कहो, मैं किस प्रकार प्राण रखूँ । हे तात! तुम भी अब जाने को कह रहे हो । तुम को देख कर छाती ठंडी हुई थी । फिर मुझे वही दिन और वही रात….!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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