जय श्री राधे कृष्ण …….
“तात सक्रसुत कथा सुनाएहु, बान प्रताप प्रभुहि समुझाएहु, मास दिवस महुँ नाथु न आवा, तौ पुनि मोहि जिअत नहिं पावा ।।
भावार्थ:- हे तात! इन्द्र पुत्र जयंत की कथा (घटना) सुनाना और प्रभु को उनके बाण का प्रताप समझाना (स्मरण कराना) । यदि महीने भर में नाथ न आये तो फिर मुझे जीती न पायेंगे….!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
