जय श्री राधे कृष्ण …….
“कहेहु तात अस मोर प्रनामा, सब प्रकार प्रभु पूरनकामा, दीन दयाल बिरिदु संभारी, हरहु नाथ मम संकट भारी ।।
भावार्थ:- (जानकी जी ने कहा), हे तात! मेरा प्रणाम निवेदन करना और इस प्रकार कहना – हे प्रभु! यद्यपि आप सब प्रकार से पूर्ण काम हैं (आपको किसी प्रकार की कामना नहीं है), तथापि दीनों (दुखियों) पर दया करना आपका विरद है (और मैं दीन हूँ), अत: उस विरद को याद कर के हे नाथ मेरे भारी संकट को दूर कीजिए….!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
