जय श्री राधे कृष्ण …….
“*साधु अवग्या कर फलु ऐसा, जरइ नगर अनाथ कर जैसा, जारा नगरु निमिष एक माहीं, एक बिभीषन कर गृह नाहीं ।।
भावार्थ:- साधु के अपमान का यह फल है कि नगर अनाथ की तरह जल रहा है । हनुमान जी ने एक ही क्षण में सारा नगर जला डाला । एक विभीषण का घर नहीं जलाया… ।।
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
