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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-140

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जय श्री राधे कृष्ण …….

“*साधु अवग्या कर फलु ऐसा, जरइ नगर अनाथ कर जैसा, जारा नगरु निमिष एक माहीं, एक बिभीषन कर गृह नाहीं ।।

भावार्थ:- साधु के अपमान का यह फल है कि नगर अनाथ की तरह जल रहा है । हनुमान जी ने एक ही क्षण में सारा नगर जला डाला । एक विभीषण का घर नहीं जलाया… ।।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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