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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-138

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जय श्री राधे कृष्ण …….

देह बिसाल परम हरुआई, मंदिर तें मंन्दिर चढ़ धाई, जरइ नगर भा लोग बिहाला, झपट लपट बहु कोटि कराला ।।

भावार्थ:- देह बड़ी विशाल, परन्तु बहुत ही हल्की (फुर्तीली) है । वे दौड़ कर एक महल से दूसरे महल पर चढ़ जाते हैं । नगर जल रहा है, लोग बेहाल हो गये हैं । आग की करोड़ों भयंकर लपटें झपट रहीं हैं…….. ।।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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