अपने हिस्से का भाग्य
अपने हिस्से का भाग्य . एक आदमी एक सेठ की दुकान पर नौकरी करता था। वह बेहद ईमानदारी और लगन से अपना काम करता था। उसके काम से सेठ बहुत प्रसन्न था और सेठ द्वारा मिलने वाली तनख्वाह से उस...
अपने हिस्से का भाग्य . एक आदमी एक सेठ की दुकान पर नौकरी करता था। वह बेहद ईमानदारी और लगन से अपना काम करता था। उसके काम से सेठ बहुत प्रसन्न था और सेठ द्वारा मिलने वाली तनख्वाह से उस...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "सुनि सुत बध लंकेश रिसाना, पठएसि मेघनाद बलवाना, मारसि जनि सुत बांधेसु ताही, देखिअ कपिहि कहाँ कर आही भावार्थ:- पुत्र का वध सुन कर रावण क्रोधित हो उठा और उसने (अपने जेष्ठ पुत्र) बलवान मेघनाद...