जय श्री राधे कृष्ण …….
“सुनत बिहसि बोला दशकंधर, अंग भंग करि पठइअ बंदर ।।
भावार्थ:- यह सुनते ही रावण हंस कर बोला- अच्छा तो बंदर को अंग-भंग करके भेज (लौटा) दिया जाय…. ।
दो.- कपि के ममता पूंछ पर सबहि कहउँ समुझाई ।
तेल बोरि पट बांधि पुनि पावक देहु लगाई ।।24।।
भावार्थ:- मै सबको समझा कर कहता हूँ कि बंदर की ममता पूंछ पर होती है । अत: तेल में कपड़ा डुबो कर उसे इस की पूंछ में बांध कर फिर आग लगा दो…… ।।
दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..