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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-132

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जय श्री राधे कृष्ण …….

सुनत बिहसि बोला दशकंधर, अंग भंग करि पठइअ बंदर ।।

भावार्थ:- यह सुनते ही रावण हंस कर बोला- अच्छा तो बंदर को अंग-भंग करके भेज (लौटा) दिया जाय…. ।

दो.- कपि के ममता पूंछ पर सबहि कहउँ समुझाई ।
तेल बोरि पट बांधि पुनि पावक देहु लगाई ।।24।।

भावार्थ:- मै सबको समझा कर कहता हूँ कि बंदर की ममता पूंछ पर होती है । अत: तेल में कपड़ा डुबो कर उसे इस की पूंछ में बांध कर फिर आग लगा दो…… ।।

दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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