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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-130

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जय श्री राधे कृष्ण …….

सुनि कपि बचन बहुत खिसिआना, बेगि न हरहु मूढ़ कर प्राना, सुनत निसाचर मारन धाए, सचिवन्ह सहित बिभीषनु आए ।।

भावार्थ:- हनुमान जी के वचन सुन कर वह बहुत ही कुपित हो गया (और बोला), अरे! इस मूर्ख का प्राण शीघ्र ही क्यों नहीं हर लेते ? सुनते ही राक्षस उन्हें मारने दौड़े । उसी समय मंत्रियों के साथ विभीषण जी वहाँ आ पहुँचे……!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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