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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-129

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जय श्री राधे कृष्ण …….

मृत्यु निकट आई खल तोही, लागेसि अधम सिखावन मोही, उलटा होइहि कह हनुमाना, मतिभ्रम तोर प्रगट मैं जाना ।।

भावार्थ:- रे दुष्ट! तेरी मृत्यु निकट आ गयी है । अधम! मुझे शिक्षा देने चला है । हनुमान जी ने कहा – इससे उल्टा ही होगा (अर्थात मृत्यु तेरी निकट आई है, मेरी नही) । यह तेरा मति भ्रम (बुध्दि का फेर) है, मैंने प्रत्यक्ष जान लिया है….!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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