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प्यार और विश्वास की डोर

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प्यार और विश्वास की डोर

अरे ये कप…..ये कप तो नीचे बहु के कमरे मे सजे हुए थे …ये यहा कैसे आए …..????? बीना अपने पति रमेश से अचरज भरी नजरो से देखते हुए बोली……वो मे लेकर आया हू रमेश ने नजरे घुमाते हुए कहा…..आप नजरे घुमा रहे है मतलब…..????…..हे भगवान मतलब आप बहू से बिना पूछे ये आपने कया किया कया ….किया मतलब …????? अरे अपने यहा वाले कितने पुराने हो गये थे चाय वगैरह पीते हुए मजा नही आता था …तो ले आया। अरे मगर ….आप भी ना ऐसे जानते है ना आजकल की लडकियो को …..और ये उसके मायके से आए है बिना पूछे लेने का मतलब कही बहू गलत समझ गयी तो ….देखिए दो महीने ही हुए है बहू को आए ….अब हम बेटे बहु वाले है केवल बेटे के माता पिता नही अब हम सास ससुर है ….

अरे तुम तो ख्माखाह घबरा रही हो अपना घर है और मैनै कोई चोरी नही की घर का समान है जैसे बेटे का वैसे बहू का और कया उसके मायके का ….नही जी आप ये कप मुझे दीजिए मे वापस शौकेस मे रखकर आती हू……जी मम्मी आपने बिल्कुल सही कहा….

ये कप नीचे शौकेस के है इन्हे वापस इनकी जगह पर ही रखा जाएगा……बीना थोडा घबराई थोडा झिझकते हुए अपने पति रमेश की और देखने लगी जो स्वंय भी शर्मिदा से इधर उधर नजरे घुमा रहे थे ।

मम्मी जी पापाजी  ये कप आए तो मेरे मायके से ही है लेकिन ये उपहार स्वरुप आए थे और आप जानते है ना की शादी वगैरह में आई उपहार स्वरुप भेंटे दिखावटी जरुर होती लेकिन टिकाऊ और चलाऊ नही……पापा जी ….भी इनकी चमक से धोखा खा गये और …..पापाजी ये देखिए मे अभी बाजार से आपके लिए बेहतरीन कपो का सेट लेकर आई हू ये लीजिए देखिए…..

ये सुन्दर भी है और मजबूत भी ….अबसे आप इन्ही कपो मे चाय काफी पीजिएगा कहते हुए बहु मुस्कुरा दी

माफ करना बहू वो …. पापा जी …..आप और मम्मी जी मुझे बेटी बनाकर इस घर परिवार मे लेकर आए है तो बेटी और आपके बीच तेरा मेरा नही बस प्यार और विश्वास रहना चाहिए और मुझे आपकी जरुरतो का ख्याल रखने का मौका मिले इसलिए बेझिझक बताया कीजिए……ताकि हमारे बीच हमेशा प्यार और विश्वास की डोर मजबूती से कायम रहे।

 बहु की बात सुनकर रमेश और बीना दोनो ने बहु को सीने से लगा लिया….!!

जय श्रीराम

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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