जय श्री राधे कृष्ण …….
“सुनु दसकंठ कहउँ पन रोपी, बिमुख राम त्राता नहिं कोपी, संकर सहस बिष्नु आज तोही, सकहिं न राखि राम कर द्रोही ।।
भावार्थ:- हे रावण! सुनो, मैं प्रतिज्ञा कर के कहता हूँ कि राम विमुख की रक्षा करने वाला कोई भी नहीं है । हजारों शंकर, विष्णु और ब्रह्मा भी श्री राम जी के साथ द्रोह करने वाले तुम को नहीं बचा सकते……..!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
