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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-126

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जय श्री राधे कृष्ण …….

सुनु दसकंठ कहउँ पन रोपी, बिमुख राम त्राता नहिं कोपी, संकर सहस बिष्नु आज तोही, सकहिं न राखि राम कर द्रोही ।।

भावार्थ:- हे रावण! सुनो, मैं प्रतिज्ञा कर के कहता हूँ कि राम विमुख की रक्षा करने वाला कोई भी नहीं है । हजारों शंकर, विष्णु और ब्रह्मा भी श्री राम जी के साथ द्रोह करने वाले तुम को नहीं बचा सकते……..!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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