अहंकार को जलाना सीखना है
होली का दिन आते ही मन में एक नया ही उत्साह का संचार होना प्रारंभ हो जाता है , मन में रंगों की प्रति आकर्षण जागृत होना प्रारंभ हो जाता है देखते देखते होली खेलने प्रारंभ कर देता है!
स्वयं अपने आप को रंगों से सराबोर बनाकर औरों को भी रंगों में रंगना प्रारंभ कर देता है, मन में मस्ती छानी प्रारंभ हो जाती है होली के दिन शाम को होली जलाने के लिए भी हजारों हजारों लोग इकट्ठे हो जाते हैं प्रतिवर्ष होली जलाते रहते हैं!
बाहर की होली आप कितने ही वार जला लो कुछ भी आपको प्राप्त होने वाला नहीं है, जब तक आप अपने भीतर के अहंकार की होली का दहन नहीं करोगे तब तक कभी भी शांति का समाधि का अनुभव होनेवाला नहीं है, अशांति का ही वातावरण बना हुआ रहेगा सच्ची शांति प्राप्त करनी है तो हमारे को अपने भीतर के अहंकार की होली को ही जलाना होगा!
तभी हमारा होली पर्व मानना अपने आप में सफ़लता सार्थकता प्रदान करने वाला बनता चला जाएगा….
जय श्रीराम