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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-123

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जय श्री राधे कृष्ण …….

राम चरण पंकज उर धरहू, लंका अचल राजु तुम्ह करहू, रिषि पुलस्ति जसु बिमल मयंका, तेहि ससि महुँ जनि होहु कलंका ।।

भावार्थ:- तुम श्री राम जी के चरण कमलों को हृदय में धारण करो और लंका का अचल राज्य करो । ऋषि पुलस्त्य जी का यश निर्मल चन्द्रमा के समान है । उस चंद्रमा में तुम कलंक न बनो….!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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