जय श्री राधे कृष्ण …….
“राम चरण पंकज उर धरहू, लंका अचल राजु तुम्ह करहू, रिषि पुलस्ति जसु बिमल मयंका, तेहि ससि महुँ जनि होहु कलंका ।।
भावार्थ:- तुम श्री राम जी के चरण कमलों को हृदय में धारण करो और लंका का अचल राज्य करो । ऋषि पुलस्त्य जी का यश निर्मल चन्द्रमा के समान है । उस चंद्रमा में तुम कलंक न बनो….!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
