जय श्री राधे कृष्ण …….
“खायउँ फल प्रभु लागी भूंखा, कपि स्वभाव तें तोरेउँ रूखा, सब के देह परम प्रिय स्वामी, मारहिं मोहि कुमारग गामी ।।
भावार्थ:- हे (राक्षसों के) स्वामी ! मुझे भूख लगी थी, (इसलिए) मैंने फल खाए और वानर स्वभाव के कारण वृक्ष तोड़े । हे (निशाचरों के) मालिक! देह सबको परम प्रिय है । कुमार्ग पर चलने वाले (दुष्ट) राक्षस जब मुझे मारने लगे……!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
