आनंद में जीना सीखें
हमें अभाव में भी खुश रहना आना चाहिए क्योंकि जिसको शिकायत करने की आदत पड़ जाए तो सब-कुछ पाने के बाद भी उसका जीवन शिकायतों से ही भरा रहता है। जीवन क्षणभंगुर है पर इसको क्षणभंगुर समझने का अर्थ ये नहीं कि कम से कम समय में ज्यादा से ज्यादा विषयोपभोग कर लिया जाए अपितु ये है कि इस अवसर का पूर्ण लाभ लेते हुए अपने समय को सदकर्मों में व्यय किया जाए।
प्रसन्नतापूर्वक श्रेष्ठ कर्म करते हुए हमें निरंतर अपने जीवन उत्थान के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। प्रत्येक पल को उत्सव बनाकर जियो, जीवन को आनंदमय बनाओ और प्रत्येक स्थिति में खुश रहने का प्रयास करो। परिस्थितियों की स्वीकृति के साथ जीवन यात्रा का आनंद लेना सीखिए, यही प्रसन्नता का मूलमंत्र है।
नेक कर्म और प्रभु नाम स्मरण सहायक हों सभी के
जय श्रीराम