जय श्री राधे कृष्ण …….
“खर दूषन त्रिसिरा अरु बाली, बधे सकल अतुलित बलसाली!!
भावार्थ:– जिन्होंने खर, दूषण, त्रिशिरा और बालि को मार डाला, जो सब के सब अतुलनीय बलवान थे ।।
जाके बल लवलेस तें जितेहु चराचर झारि, तासु दूत मैं जा करि हरि आनेहु प्रिय नारि ।।
भावार्थ:– जिनके लेशमात्र बल से तुम ने समस्त चराचर जगत को जीत लिया और जिनकी प्रिय पत्नी को तुम (चोरी से) हर लाए हो, मैं उन्हीं का दूत हूँ……।।
दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
