lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-115

103Views

जय श्री राधे कृष्ण …….

धरइ जो बिबिध देह सुरत्राता, तुम्ह से सठन्ह सिखावनु दाता, हर कोदंड कठिन जेहिं भंजा, तेहि समेत नृप दल मद गंजा ।।

भावार्थ:- जो देवताओं की रक्षा के लिए नाना प्रकार की देह धारण करते हैं, और जो तुम्हारे जैसे मूर्खो को शिक्षा देने वाले हैं, जिन्होंने शिव जी की कठोर धनुष को तोड़ डाला और उसी के साथ राजाओं के समूह का गर्व चूर्ण कर दिया…..!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply