lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-111

105Views

जय श्री राधे कृष्ण …….

कपिहि बिलोकि दसानन बिहसा कहि दुर्बाद, सुत बध सुरति कीन्हि पुनि उपजा हृदयँ बिषाद…..।।

भावार्थ:- हनुमान जी को देख कर रावण दुर्वचन कहता हुआ खूब हंसा । फिर पुत्र वध का स्मरण किया तो उस के हृदय में विषाद उत्पन्न हो गया…….!!

दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply