जय श्री राधे कृष्ण …….
“जासु नाम जपि सुनहु भवानी, भव बंधन काटहिं नर ग्यानी, तासु दूत कि बंध तरु आवा, प्रभु कारज लगि कपिहिं बंधावा ।।
भावार्थ:- (शिवजी कहते हैं) हे भवानी! सुनो, जिन का नाम जप कर ज्ञानी (विवेकी) मनुष्य संसार (जन्म-मरण) के बंधन को काट डालते हैं, उन का दूत कहीं बंधन में आ सकता है ? किन्तु प्रभु के कार्य के लिए हनुमान जी ने स्वयं अपने को बंधा लिया…!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..