जय श्री राधे कृष्ण …….
“तिन्हहि निपाति ताहि सन बाजा, भिरे जुगल मानहुँ गजराजा, मुठिका मारि चढ़ा तरु जाई, ताहि एक छन मुरुछा आई!!
भावार्थ:– उन सब को मार कर फिर मेघनाद से लड़ने लगे । (लड़ते हुए वे ऐसे मालुम होते थे) मानो दो गजराज (श्रेष्ठ हाथी) भिड़ गये हों । हनुमान जी उसे एक घूंसा मार कर वृक्ष पर जा चढ़े । उसको क्षण भर के लिए मूर्छा आ गयी…..!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
