जय श्री राधे कृष्ण …….
“सुनि सुत बध लंकेश रिसाना, पठएसि मेघनाद बलवाना, मारसि जनि सुत बांधेसु ताही, देखिअ कपिहि कहाँ कर आही
भावार्थ:- पुत्र का वध सुन कर रावण क्रोधित हो उठा और उसने (अपने जेष्ठ पुत्र) बलवान मेघनाद को भेजा । (उसने कहा कि) हे पुत्र! मारना नहीं, उसे बांध लाना । उस बंदर को देखा जाय कि कहाँ का है…!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
