चरित्र की असलियत :-तोते की राम राम कब तक??
चरित्र की असलियत:-तोते की राम राम कब तक? राजा भोज के दरबार में एक विद्वान आए। वे अनेक भाषाऐं धारा प्रवाह रूप से बोलते थे, भोज यह जानना चाहते थे कि उनकी मातृ-भाषा क्या है? पर संकोचवश पूछ न सके।...
चरित्र की असलियत:-तोते की राम राम कब तक? राजा भोज के दरबार में एक विद्वान आए। वे अनेक भाषाऐं धारा प्रवाह रूप से बोलते थे, भोज यह जानना चाहते थे कि उनकी मातृ-भाषा क्या है? पर संकोचवश पूछ न सके।...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "सुनत बिहसि बोला दशकंधर, अंग भंग करि पठइअ बंदर ।। भावार्थ:- यह सुनते ही रावण हंस कर बोला- अच्छा तो बंदर को अंग-भंग करके भेज (लौटा) दिया जाय…. । दो.- कपि के ममता पूंछ पर...
होनी प्रबल है उसे कोई टाल नहीं सकता.. अभिमन्यु के पुत्र ,राजा परीक्षित थे। राजा परीक्षित के बाद उनके लड़के जनमेजय राजा बने। एक दिन जनमेजय वेदव्यास जी के पास बैठे थे बात बातों में जन्मेजय ने कुछ नाराजगी से...
जय श्री राधे कृष्ण ……. " नाइ सीस करि बिनय बहूता, नीति बिरोध न मारिअ दूता, आन दंड कछु करिअ गोसाई, सबहीं कहा मंत्र भल भाई।। भावार्थ:- उन्होंने सिर नवा कर और बहुत विनय कर के रावण से कहा कि...
खुशियों का सौदा इस बड़े शहर में एक छोटा सा कॉस्मेटिक शॉप है मेरा। पति ने खोला था मेरे नाम पर। झुमकी श्रृंगार स्टोर। आज एक नया जोड़ा आया है मेरे दुकान पर।स्टाफ ने बताया कि सुबह से दूसरी बार...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "सुनि कपि बचन बहुत खिसिआना, बेगि न हरहु मूढ़ कर प्राना, सुनत निसाचर मारन धाए, सचिवन्ह सहित बिभीषनु आए ।। भावार्थ:- हनुमान जी के वचन सुन कर वह बहुत ही कुपित हो गया (और बोला),...
प्यार और विश्वास की डोर अरे ये कप.....ये कप तो नीचे बहु के कमरे मे सजे हुए थे ...ये यहा कैसे आए .....????? बीना अपने पति रमेश से अचरज भरी नजरो से देखते हुए बोली……वो मे लेकर आया हू रमेश...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "मृत्यु निकट आई खल तोही, लागेसि अधम सिखावन मोही, उलटा होइहि कह हनुमाना, मतिभ्रम तोर प्रगट मैं जाना ।। भावार्थ:- रे दुष्ट! तेरी मृत्यु निकट आ गयी है । अधम! मुझे शिक्षा देने चला है...
घोडा 🐴 और सेब🍎 एक राजा था, उसने एक सर्वे करने का सोचा कि मेरे राज्य के लोगों की घर गृहस्थी पति से चलती है या पत्नी से...? उसने एक ईनाम रखा कि " जिसके घर में पति का हुक्म...
जय श्री राधे कृष्ण ……. "जदपि कही कपि अति हित बानी, भगति बिबेक बिरति नय सानी, बोला बिहसि महा अभिमानी, मिला हमहि कपि गुर बड़ ग्यानी ।। भावार्थ:- यद्यपि हनुमान जी ने भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और नीति से सनी हुई...