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Month Archives: February 2024

Stories

अयोध्या आंदोलन के हनुमान-12 – महंत अवैद्यनाथ

अयोध्या आंदोलन के हनुमान-12 – महंत अवैद्यनाथ महंत अवैद्यनाथ का जन्म 28 मई 1921 को महंत अवैद्यनाथ जी का जन्म ग्राम काण्डी, जिला पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड में श्री राय सिंह बिष्ट के घर हुआ था। आपके बचपन का नाम श्री कृपाल...

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सुविचार

जय श्री राधे कृष्ण ……. " रोता वहीं है जिसने रिश्तों को सच्चाई से निभाया हो, वरना मतलब का रिश्ता रखने वाले की आंखों में न तो शर्म होती है और न ही पानी……!! सुप्रभात आज का दिन प्रसन्नता से...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-84

जय श्री राधे कृष्ण ……. "सो मनु सदा रहत तोहि पाही, जानु प्रीति रसु एतनेहि माहीं, प्रभु सन्देसु सुनत बैदेही, मगन प्रेम तन सुधि नहिं तेही……!! भावार्थ:- और वह मन सदा तेरे ही पास रहता है। बस मेरे प्रेम का...

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अयोध्या आंदोलन के हनुमान-11 –देवराहा बाबा

देवरहा बाबा,   भारत के उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद में एक योगी, सिद्ध महापुरुष एवं सन्तपुरुष थे। डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद, महामना मदन मोहन मालवीय, पुरुषोत्तमदास टंडन, जैसी विभूतियों ने पूज्य देवरहा बाबा के समय-समय पर दर्शन कर अपने को कृतार्थ अनुभव किया था। पूज्य महर्षि पातंजलि...

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सुविचार

जय श्री राधे कृष्ण ……. " दुनिया के तानों से कभी नाराज मत होना, अनजान लोग तो हीरे को भी कांच समझ लेते हैं…!! सुप्रभात आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो.....

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-83

जय श्री राधे कृष्ण ……. "कहेहू ते कछु दुख घटि होई, काहि कहौं यह जान न कोई, तत्व प्रेम कर मम अरु तोरा, जानत प्रिया एकु मनु मोरा…..!! भावार्थ:- मन का दुख कह डालने से भी कुछ घट जाता है।...

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जैसा अन्न वैसा मन

एक बार एक ऋषि ने सोचा कि लोग गंगा में पाप धोने जाते है, तो इसका मतलब हुआ कि सारे पाप गंगा में समा गए और गंगा भी पापी हो गयी ! अब यह जानने के लिए तपस्या की, कि...

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अयोध्या आंदोलन के हनुमान-10 –महंत रामचंद्रदास परमहंस

देश की राजनीति में भी स्वर्गीय रामचंद्र परमहंस दास का दबदबा बना रहता था. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई श्री रामचंद्र परमहंस दास के निधन पर अयोध्या के सरयू तट पर जाकर उनको श्रद्धांजलि दिए थे. परमहंस दास जी के...

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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-82

जय श्री राधे कृष्ण ……. "कुबलय बिपिन कुंत बन सरिसा, बारिद तपत तेल जनु बरिसा, जे हित रहे करत तेई पीरा, उरग स्वास सम त्रिबिध समीरा…..!! भावार्थ:- और कमलों के वन भालों के वन के समान हो गए हैं ।...

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भय का कारण विश्वास की कमी

परम श्रद्धेय स्वामी जी महाराज जी कह रहे हैं कि सेठ जी कहते थे कि भगवान् हैं । ऐसा दृढ़ विश्वास । तो जनाना भगवान् की जिम्मेवारी हो जाती है । जिसे भगवान् जना देते हैं, वही जानते हैं ।...

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