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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-98

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जय श्री राधे कृष्ण …….

नाथ एक आवा कपि भारी, तेहिं असोक वाटिका उजारी, खाएसि फल अरु बिटप उपारे, रच्छक मर्दि मर्दि महि डारे…..!!

भावार्थ:- (और कहा) हे नाथ ! एक बड़ा भारी बन्दर आया है । उसने अशोक वाटिका उजाड़ डाली । फल खाए, वृक्षों को उखाड़ डाला और रखवालों को मसल – मसल कर जमीन पर डाल दिया…!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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