जय श्री राधे कृष्ण …….
“चलेउ नाइ सिरु पैठेउ बागा, फल खाएसि तरुतोरैं लागा, रहे जहाँ बहु भट रखवारे, कछु मारेसि कछु जाइ पुकारे ।।
भावार्थ:- वे सीता जी को सिर नवा कर चले और बाग में घुस गये । फल खाए और वृक्षों को तोड़ने लगे । वहाँ बहुत से योद्धा रखवाले थे । उनमें से कुछ को मार डाला और कुछ ने जाकर रावण से पुकार की….!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
