जय श्री राधे कृष्ण …….
“तिन्ह कर भय माता मोहि नाही, जौ तुम्ह सुख मानहु मन माही……!!
भावार्थ: – (हनुमान जी ने कहा) हे माता! यदि आप मन में सुख मानें (प्रसन्न होकर आज्ञा दें) तो मुझे उनका भय तो विल्कुल नहीं है ।।
देखि बुध्दि बल निपुन कपि कहेउ जानकी जाहु, रघुपति चरन ह्रदय धरि तात मधुर फल खाहु….!!
भावार्थ: – हनुमान जी को बुध्दि और बल में निपुण देख कर जानकी जी ने कहा- जाओ। हे तात! श्री रघुनाथ जी के चरणों को ह्रदय में धारण करके मीठे फल खाओ…..!!
दीन दयाल बिरिदु संभारी ।
हरहु नाथ मम संकट भारी ।।
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
