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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-88

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जय श्री राधे कृष्ण …….

अबहिं मातु मैं जाउँ लवाई, प्रभु आयसु नहिं राम दोहाई, कछुक दिवस जननी धरु धीरा, कपिन्ह सहित अइहहिं रघुबीरा…..!!

भावार्थ:- हे माता ! मैं आप को अभी यहां से लिवा जाउँ, पर श्री राम चंद्र जी की शपथ है, मुझे प्रभु (उन) की आज्ञा नहीं है। (अतः) हे माता ! कुछ दिन और धीरज धरो। श्री रामचंद्र जी वानरों सहित यहां आवेंगे…!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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