जय श्री राधे कृष्ण …….
“जौं रघुबीर होति सुधि पाई, करते नहिं बिलम्ब रघुराई, राम बान रबि उएं जानकी, तम बरुथ कहं जातुधान की….!!
भावार्थ:- श्री राम चंद्र जी ने यदि खबर पाई होती, तो वे विलम्ब न करते । हे माता जानकी ! राम बाण रूपी सूर्य के उदय होने पर राक्षसों की सेना रूपी अंधकार कहां रह सकता है ?….!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
