जय श्री राधे कृष्ण …….
“सो मनु सदा रहत तोहि पाही, जानु प्रीति रसु एतनेहि माहीं, प्रभु सन्देसु सुनत बैदेही, मगन प्रेम तन सुधि नहिं तेही……!!
भावार्थ:- और वह मन सदा तेरे ही पास रहता है। बस मेरे प्रेम का सार इतने में ही समझ ले। प्रभु का संदेश सुनते ही जानकी जी प्रेम में मग्न हो गयीं। उन्हें शरीर की सुध न रही……!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
