lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-83

108Views

जय श्री राधे कृष्ण …….

कहेहू ते कछु दुख घटि होई, काहि कहौं यह जान न कोई, तत्व प्रेम कर मम अरु तोरा, जानत प्रिया एकु मनु मोरा…..!!

भावार्थ:- मन का दुख कह डालने से भी कुछ घट जाता है। पर कहूं किससे ? यह दुख कोई जानता नहीं । हे प्रिये! मेरे और तेरे प्रेम का तत्व (रहस्य) एक मेरा मन ही जानता है….!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply