जय श्री राधे कृष्ण …….
“कहेहू ते कछु दुख घटि होई, काहि कहौं यह जान न कोई, तत्व प्रेम कर मम अरु तोरा, जानत प्रिया एकु मनु मोरा…..!!
भावार्थ:- मन का दुख कह डालने से भी कुछ घट जाता है। पर कहूं किससे ? यह दुख कोई जानता नहीं । हे प्रिये! मेरे और तेरे प्रेम का तत्व (रहस्य) एक मेरा मन ही जानता है….!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
