lalittripathi@rediffmail.com
Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-79

88Views

जय श्री राधे कृष्ण …….

मातु कुसल प्रभु अनुज समेता, तव दुख दुखी सुकृपा निकेता, जनि जननी मानहु जिय ऊना, तुम्ह ते प्रेमु राम कें दूना….!!

भावार्थ:- हे माता ! सुंदर कृपा के धाम प्रभु भाई लक्ष्मण जी के सहित (शरीर से) कुशल हैं, परंतु आप के दुख से दुखी हैं । हे माता! मन में ग्लानि ना मानिए (मन छोटा कर के दुख न कीजिए), श्री रामचंद्र जी के हृदय में आप से दूना प्रेम है… ।।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

Leave a Reply