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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-70

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जय श्री राधे कृष्ण …….

जीति को सकइ अजय रघुराई, माया ते असि रचि नहिं जाई, सीता मन बिचार कर नाना, मधुर बचन बोलेउ हनुमाना l…..!!

भावार्थ:- श्री रघुनाथ जी तो सर्वथा अजेय हैं, उन्हें कौन जीत सकता है ? और माया से ऐसी अंगूठी बनायी नहीं जा सकती । सीता जी मन में अनेक प्रकार के विचार कर रहीं थीं । इसी समय हनुमान जी मधुर बचन बोले ।।

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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