राम’ नाम का रहस्य
‘राम‘ सिर्फ एक नाम नहीं। राम मात्र दो अक्षर नहीं। राम हमारी सांस्कृतिक विरासत है। राम हमारी की एकता और अखंडता हैं। राम हमारी आस्था और अस्मिता के सर्वोत्तम प्रतीक हैं। राम सनातन धर्म की पहचान है। राम प्रत्येक प्राणी में रमा हुआ है । राम चेतना और सजीवता का प्रमाण है। अगर राम नहीं तो जीवन मरा है। इस नाम में वो ताकत है कि मरा-मरा करने वाला राम-राम करने लगता है। इस नाम में वो शक्ति है जो हजारों-लाखों मंत्रों के जाप में भी नहीं है।
राम का अर्थ है ‘प्रकाश’। किरण एवं आभा जैसे शब्दों के मूल में राम है। ‘रा’ का अर्थ है आभा और ‘म’ का अर्थ है मैं, मेरा और मैं स्वयं। अर्थात मेरे भीतर प्रकाश, मेरे ह्रदय में प्रकाश। ”बलशालियों में बलशाली हैं राम, लेकिन राम से भी बढ़कर राम का नाम”…
‘राम’ यह शब्द दिखने में जितना सुंदर है उससे कहीं महत्वपूर्ण इसका उच्चारण है। राम मात्र कहने से शरीर और मन में अलग ही तरह की प्रति क्रिया होती है जो हमें आत्मिक शांति देती है। हजारों संतों-महात्माओं ने राम नाम जपते-जपते मोक्ष को पा लिया।
”रमंति इति रामः” जो रोम-रोम में रहता है, जो समूचे ब्रह्मांड में समाये हैं।।
जय श्रीराम