जय श्री राधे कृष्ण …….
“सुनत बचन पद गहि समुझाएसि, प्रभु प्रताप बल सुजसु सुनाएसि, निसि न अनल मिल सुनु सुकुमारी, अस कहि सो निज भवन सिधारी…..!!
भावार्थ:- सीता जी के वचन सुन कर त्रिजटा ने चरण पकड़ कर उन्हें समझाया और प्रभु का प्रताप, बल और सुयश सुनाया। हे सुकुमारी! सुनो, रात्रि के समय आग नहीं मिलेगी। ऐसा कह कर वह अपने घर चली गई…!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
