जय श्री राधे कृष्ण …….
“एहि बिधि सो दच्छिन दिसि जाई, लंका मनहुँ बिभीषन पाई, नगर फिरी रघुबीर दोहाई, तब प्रभु सीता बोलि पठाई……!!
भावार्थ :– इस प्रकार से वह दक्षिण (यमपुरी की) दिशा को जा रहा है और मानो लंका विभीषण ने पाई है । नगर में श्री राम चंद्र जी की दुहाई फिर गई । तब प्रभु ने सीता जी को बुला भेजा…..!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..
