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Quotes

सुविचार-सुन्दरकाण्ड-57

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जय श्री राधे कृष्ण …….

मास दिवस महुँ कहा न माना, तौं मैं मारबि काढ़ि कृपाना…..!!

भावार्थ:- यदि महीने भर में यह कहा न माने तो मैं इसे तलवार निकाल कर मार डालूँगा ।।

भवन गयउ दसकंधर इहाँ पिसाचिनि बृन्द, सीतहि त्रास देखावहिं धरहिं रुप बहु मंद….!!

भावार्थ:- (यों कहकर) रावण घर चला गया। यहां राक्षासियों के समूह बहुत से बुरे रूप धर कर सीता जी को भय दिखलाने लगे..!!

दीन दयाल बिरिदु संभारी, हरहु नाथ मम संकट भारी…!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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