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सुविचार-सुन्दरकाण्ड-56

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जय श्री राधे कृष्ण …….

सुनत बचन पुनिमारन धावा, मयतनयां कहि नीति बुझावा, कहेसि सकल निसिचरिन्ह बोलाई, सीतहि बहु बिधि त्रासहु जाई ।।

भावार्थ:- सीता जी के ये वचन सुनते ही वह मारने दौड़ा । तब मय दानव की पुत्री मंदोदरी ने नीति कह कर उसे समझाया । तब रावण ने सब राक्षसियों को बुला कर कहा कि जा कर सीता को बहुत प्रकार से भय दिखलाओ…..!!

सुप्रभात

आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..

Lalit Tripathi
the authorLalit Tripathi
सामान्य (ऑर्डिनरी) इंसान की असमान्य (एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी) इंसान बनने की यात्रा

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