जय श्री राधे कृष्ण …….
“सीता तैं मम कृत अपमाना, कटिहउँ तव सिर कठिन कृपाना, नाहिं त सपदि मानु मम बानी, सुमुखि होति न त जीवन हानी…..!!
भावार्थ:- सीता! तूने मेरा अपमान किया है। मैं तेरा सिर इस कठोर कृपाण से काट डालूँगा। नहीं तो (अब भी) जल्दी मेरी बात मान ले। हे सुमुखि! नहीं तो जीवन से हाथ धोना पड़ेगा……!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..