जय श्री राधे कृष्ण …….
“तव अनुचरीं करउँ पन मोरा, एक बार बिलोकु मम ओरा, तृन धरि ओट कहति बैदेही, सुमिरि अवधपति परम सनेही……!!
भावार्थ:- मैं तुम्हारी दासी बना दूंगा । यह मेरा प्रण है। तुम एक बार मेरी ओर देखो तो सही! अपने परम स्नेही कोसलाधीश श्री राम चंद्र जी का स्मरण कर के जानकी जी तिनके की आड़ (परदा) कर के कहने लगीं…..!!
सुप्रभात
आज का दिन प्रसन्नता से परिपूर्ण हो..